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मातर भासा संगीत रचना
लोगदण्या क तांई पबितर सासतर प आधारित गीत होबो एक अस्यो तरीको छ जिसुं लोगदण्या का हरदा म परमेश्वर का बचन को भंडार बणायो जा सक्अ, मतलब; पुरा तरीका सुं उंकी आराधना करी जा सक्अ। सांस्कृतिक रुप सुं पुरी तर सुं संगीत-शैली न काम म लेता होया मसीह लोगा न ई तरअ सुं आग्अ बढ़ाबा कि कोसिस करअ छा,ताकि व अपणा हरदा की बोली म पबितर सासतर का गीत तयार कर सक्अ।
मसीह लोगा का चलाबाहाळा न संस्कृति का सेवका सुं ऊ बगत म मलकर खुद की बोली म गीता न काम म लेबा का प्रभाव क लेख्अ अपणा दरसाऊ न हेरणी छाज्ये। म्हाकी इच्छा या छ क ये हर एक मसीह लोगा तांई बाताई जाव्अ अर न्हाळा-न्हाळा तरीका सुं सखाई जाव्अ ताकि व कबि, गीत लिखबा हाळा, गीत तयार करबाळा , गाबा हाळा, संगीतकार, मंच प गाबाहाळा, बण्अ सक्अ । ये ई बात की जाणकारी देवगा मतलब पुरा तरीका सुं मण्डळिया म प्रभु यीशु की आराधना करबा क तांई अपणी बोली म गीत गाया जाव्अ। आराधना, मनख्यां न बदलाव क आड़ी ले जावॅ छ जिका बदला म मण्डळिया मसीह लोगा न प्रभावित करबा म आग्अ बढ़ावअ छ। आपण यो सपनो देखा छा क हर एक मण्डळिया अर बोली मसीह लोग यीशु की आराधना करबा क तांई पबितर सासतर प आधारित गीता न आग्आ बढाबा क तांई खुद की रणनीति को बिकास करअ।
म्हां च्यार दन कि मिटिंग सरु करअ छा अर इकी सरुआत म्हां वांईं करअ छा ज्या मसीह लोग रअव छ। या मिटिंग लोगा कि सायता कर छ जिसुं खुदकी बोली का गीता को आदर करबा सुं लोगा का मन अर दिमाक को विकास किरयो जा सक्अ। या ई कार्यकरम म भाग लेबा हाळा की सायता करअ छ, क कस्या व या समझ सक्अ क पबितर सासतर खुद की बोली म गीत क दुवारा मसीह लोगा प कस्या परभाव डाल छ, कास तोर प प्रभु का ज्ञान म बढ़बा क तांई लोगदणिया न सायता मल्अ छ। ईम भाग लेबा हाळा मनखं सकाया जाव्अ छ जिसूं व सांस्कृतिक रुप सुं बढ़्या तरीका सुं अपणी खुद की बोली न काम म लेता होया पबितर सासतर प आधारित गीत लिख सक्अ। गीत बाइबल का आधार प बढ़्या जाँच करबो अर गीता की रिकोडिंग करबो सीखबो अर प्रासंगिक मीडिया का माध्यम सुं बाटबा क तांई भी सकाई जाव्अ छ। सीखबा हाळा मनखं खुद कि बोली का बारा म पाठ की छाण- बिण कर छ । पाठ्यक्रम का आखरी म खुद की संस्कृति का बारा म पुरो ज्ञान हासील कर’र आग्अ की छाण-बीण करबा की एक आसा क लारा कार्यकरम न समापत कर’र अपण-अपण घरा खढ जाव्अ छ।
ओरियन्टेशन:(जाणकारी)
ऐ भाग म द्या ग्या पाठा म अपणा एरिया का पास्टर अर मसीह का लोगादण्या न चला बाळा क ताँई सायता मलगी। व या जान सकअ आपणा एरिया म ई एम दल चला बा को मतलब काई छ। अर ई एम दल न सरु करबा म अपणी जम्मादारी क बारा म बात कर सक। लोगदण्यां क द्वारा अपणी बोली म गीत पअली बार हेरबा को मूल्य घणो जरुरी छ। ई लेखअ जद मसीह सेवा न चला बाला का बीचा म अपणी बोली म गीता की भुमिका का बारा म बाँट्यो ग्यो दर्शन अर इच्छा कोन्ह होव व्हां तांई ई एम दल आगअ का ई एम कार्यक्रम म आगअ न्ह बढ़अ। इका बीचा म व स्थानीय समुदाय (लोकल लोगों ) का बिचा म दर्शन न बाटँबा क ताँई उत्साहित करर प्रार्थना करबा का क्षेत्र पअ ध्यान देव।
खोज करना:(हेरबो)
कोई सन्दर्भा म ई एम का चला बाळा न अस्याणं का पास्टरा क लारा काम कर ज्ये ऊं ऐरिया रेहबा हाळा होव। व लोग कलीसिया बणा बाळा लोग हो सका छ या बाइबल अनुवाद, धर्मशास्त्रीय संलिप्तिकरण आदि म लारा छोटी कलीसिया बणा बाळा हो सक छ। ई एम म काम करबाळा लोग पास्टरा क लारा मलर व्हा कि जरुरता न हरअ अर ऊ तयारी म ई एम गतिविधिया क ताँई तरीका बणा व। ई ठोर प ई एम न चलाबाळ क ताँई गेलो बतावॅ छ क कोई समुह म जरुरी ई एम सरु कर्यो जावॅ। ई भाग म व गीत का परकार अर वाका महत्व प अर कोई जरुरी भाषा म कस्या तरीका का संगीत काम म ल्या जावॅ छ, वांका बारा म बात चित करवां। ई एम न आगअ ले जाबा क तांई ई भाग मप पास्टरा कि अर ई एम न चलाबाळा की भूमिका छोखा पछाणी जा सकअ।
पहल करना: (सरु करबो)
ई भाग म गीत लिखबो कार्यशाला म काम म लेबा काण रखाण्यो गयो छ। या कार्यशाला सामान्य समुदाय का मनख्यां कि ठाम बलाई जावॅ छ। कार्यशाला म समय-सारणी क अनुसार पाठ सकायो जावॅ छ। कार्यशाला लोगदण्या की सायता कर छ क व खुदकी की भासा का गीता को आदर करबा की मानसिकता विकसित कर सकअ। ये भाग लेबा हाळा की सायता करअ छ क व या महसूस कर सकअ क धर्मशास्त्र आधारित भासा संगीत कसी तरअ समुदाय प प्रभाव डाल सकअ छ अर कास तोर प लोगदण्या न प्रभु म बढ़ाबा क तांई जोर दे सक छ । प्रतिभागी अपणी मातृ-भाषा न काम म लेता होया सांस्कृतिक रुप सुँ बढ़्या तरीका सुं धर्मशास्त्र आधारित गीत लिखबा क तांई सकाता जावॅ छ। अर गीत बाइबल का आधार प बढिया जाँच करबा क तांई प्रशिक्षित कर्या जावॅ छ अर गीत रिकोडिंंगं करबो सखाव छ अर मलति जुलति मीडिया(टुना) क द्वारा बाटी जा सक छ। पाठा क समय सीखबाळा लोग अपणी खुद कि भासा कि छान-बीण करअ छ। पाठ्यक्रम का आखरी तांई व खुद की संस्कृति क बारा म पुरी जाणकारी अर आगअ की खोज क तांई उत्सुकता (ईच्छा) प्राप्त कर लेव छ।
पअला दो भाग, ओरियन्टेशन अर हेरबो कोई कार्यशाला की व्यवस्था म अर आमअ-सामअ विचार-विमर्श म आयोजित करयो जा सकअ छ। तीसरा भाग म सरु करबो कोई कार्यशाला व्यवस्था क अन्तर्गत कसी भी भाषा कि ठोर प आयोजित करयो जावॅ छ। जरुरत क अनुसार काम म लेबा क तांई एक खासं पोथी को चुणाव करयो जा सकअ।
ये तीनु भागा का पाठ लर्निंग द लास्ट्स (एल टी एल) तरीक न काम म लेता होया आयोजित करयो जावॅ, ज्ये सखाबा को अस्यो तरीको छ जिम सखाबा हाळा अर सीखबाळा लोग एक-दूसरा सुं बातचीत करअ छ अर कक्षा का ओर लोग ओर चीजा न सखावॅ छ । पाठा म नाटक, विचार-विमर्श सीखबा का भाग छ।
पाठ्यक्रम का परिणाम का रुप म प्रतिभागी न्ह खाली खुदॅ भी कांई-कांई सीख छ पण ये इकाइया क द्वारा ज्ये काई व सीखअ छ वानअ सीखबा म ओर लोगा की सायता करबा क तांई भी बता दी जाव छ।